draupadi murmu देश की पहली आदिवासी राष्ट्रपति और देश की दूसरी महिला राष्ट्रपति बन गई है। राष्ट्रपति पद के लिए 18 जुलाई 2022 को हुए मतदान के बाद हुई मतगणना में एनडीए उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू को बड़े अंतर से जीत मिली है। जीत का एलान होते ही देश भर में जश्न मनाया गया और उन्हें बधाई देने के लिए प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्रमोदी द्रौपदी मुर्मू के घर पहुंचे। गृहमंत्री अमितशाह और जेपी नड्डा भी शामिल थे और साथ ही राष्ट्रपति का चुनाव हारने वाले उम्मीदवार यशवंत सिन्हा ने भी द्रौपदी मुर्मू को जीत की बधाई दी।
द्रौपदी मुर्मू आज किसी पहचान की मोहताज नहीं हैं अपने व्यक्तित्व दूरदर्सी नेतृत्व और समाज सेवा के जरिये द्रौपदी मुर्मू ने ये शाबित कर दिया की कितनी भी कठिन परिस्थियाँ क्यों न हो महिला की नियति चार दीवारी तक ही सिमित नहीं रहती है। इनका जीवन किसी भी व्यक्ति के लिए प्रेरणा का स्रोत है जो की मुश्किलों से हार मान लेते है। आज बताएँगे आपको द्रौपदी मुर्मू की कहानी जो एक गांव के छोटे से घर से शुरू होकर अब राष्ट्रपति भवन तक पहुंच गई है।
draupadi murmu biography in hindi – द्रौपदी मुर्मू का जीवन परिचय
द्रौपदी मुर्मू का जन्म 20 जून सन 1958 को भारत में उड़ीशा राज्य के मयूरगंज जिले में एक साधारण से गाँव उपरबेड़ा में हिन्दू परिवार में हुआ था। ये आदिवासी संथाल परिवार से ताल्लुक रखती हैं।ईनके पिताजी का नाम बिरांची नारायण टुडू हैं और पति का नाम श्याम चरण मुर्मू था। विवाह होने के पश्चात इनके दो बेटे और एक बेटी हुई एक बेटे का नाम लक्ष्मण मुर्मू , दूसरे का नाम शिपुन मुर्मू था और इनकी बेटी का नाम इति है।
द्रौपदी मुर्मू संक्षिप्त परिचय | |
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जन्मतिथि | 20 जून 1958 |
जन्म स्थान | उपरबेड़ा ,मयूरभंज, उड़ीसा, भारत |
नाम | द्रौपदी मुर्मू |
पिता | बिरांची नारायण टुडू |
पति | श्याम चरण मुर्मू |
पुत्र | लक्ष्मण मुर्मू ,शिपुन मुर्मू |
पुत्री | इति |
हाइट | 5 फिट 4 इंच |
राजनितिक पार्टी | भारतीय जनता पार्टी(1997 से ) |
धर्म | हिन्दू |
जाती | अनुसूचित जनजाति |
कुल संपत्ति (लगभग ) | 10 लाख |
draupadi murmu की शिक्षा एवं कैरियर की शुरुआत
इन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा अपने ही इलाके के विद्यालय से प्राप्त की उसके बाद शिक्षा की ललक होने की वजह से ग्रेजुएशन करने के लिए भुवनेश्वर पहुंच गई और रामा देवी महिला कॉलेज में अपना एडमिशन कराया और उसी कॉलेज से ही उन्होंने अपनी ग्रेजुएशन वर्ष 1979 में कंप्लीट किया । ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरा करने के बाद द्रौपदी मुर्मू ने अपने करियर की शुरुआत उड़ीसा सरकार के सिंचाई विभाग में एक क्लर्क के तौर पर किया था। हालांकि इसके बाद उन्होंने नौकरी बदली और एक कॉलेज में असिस्टेंट प्रोफेसर बनकर छात्रों को पढ़ाने लगी।
अपने गांव से जाकर भुवनेश्वर शहर में पढ़ाई करने वाली यह पहली महिला थी ।
द्रौपदी मुर्मू का राजनीतिक जीवन
( draupadi murmu biography in hindi )-इनका राजनीतिक जीवन सन 1997 में शुरू हुआ जब उन्होंने वार्ड पार्षद का चुनाव लड़ा और पार्षद बन गई। इसके बाद उनका राजनैतिक जीवन बुलंदियों की ओर बढ़ता गया। द्रौपदी दो बार उड़ीसा के मयूरभंज विधान सभा सीट से बीजेपी की टिकट से चुनाव लड़ा और जीत हासिल किया और विधायक बनी। वर्ष 2000 से 2004 तक उड़ीसा की सरकार में राज्य मंत्री रही, फिर 2015 में उन्हें झारखंड के राज्यपाल के लिए नियुक्त किया गया ,इस पद पर वह 2015 से 2021 तक रही और अब वह देश की पहली आदिवासी महिला राष्ट्रपति बन गई हैं।
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द्रौपदी मुर्मू का निजी जीवन
बात करें इनके निजी जीवन की तो इनका जीवन काफी उतार-चढ़ाव भरा रहा है ,पढ़ाई में अव्वल होने की वजह से वह ग्रेजुएशन करने के लिए भुवनेश्वर पहुंची और वहां उनकी मुलाकात श्याम चरण मुर्मू से हुई। यह बात 1980 की है जब श्याम भी उन दिनों भुवनेश्वर में ग्रेजुएशन कर रहे थे। वहीं श्याम और द्रौपदी मुर्मू दोनों के बीच प्रेम हुआ और उसके बाद श्याम चरण मुर्मू विवाह का प्रस्ताव लेकर द्रौपदी के घर पहुंचे। द्रोपदी के पिता को मनाने के लिए वह 3 दिन तक उनके गांव में ही डटे रहें लेकिन द्रोपदी के पिता को यह रिश्ता मंजूर नहीं था, परंतु परिजनों और गांव वालों के दबाव में आकर उन्होंने हां कह दिया। 1980 में उनकी शादी हो गई और द्रौपदी मुर्मू अपने ससुराल पहाड़पुर आ गई। लेकिन विवाह के बाद उनके जीवन में एक के बाद एक दुख आते रहे
द्रौपदी मुर्मू का संघर्ष और परिवार
draupadi murmu biography in hindi – द्रौपदी मुर्मू ने अपनी राजनीतिक जीवन में कई सफलताएं हासिल की हैं लेकिन निजी जीवन में समय ने बार-बार उनकी परीक्षा ली है और एक वक्त ऐसा भी आया था जब और डिप्रेशन में चली गई थी।
यह बात 2009 की है जब 25 वर्ष की उम्र में उनके एक बेटे की असमय मौत हो गई थी।अपने बेटे की मौत से द्रौपदी मुर्मू को इतना गहरा सदमा लगा कि वो कुछ समय के लिए डिप्रेशन में चली गई थी ।इसके बाद उन्होने खुद को हिम्मत देने के लिए अध्यात्म का रास्ता चुना और ब्रह्मकुमारी संस्था से जुड़ गई।धीरे धीरे डिप्रेशन से बाहर आ ही रही थी चार साल बाद वर्ष 2013 में एक सड़क दुर्घटना में उनके दूसरे बेटे की भी मृत्यु हो गई।सिर्फ 4 वर्षों में उन्होंने एक के बाद एक करके अपने दोनों बेटों को खो दिया।
उनके निजी जीवन मे आयी ये त्रासदी यही नही रुकी 2013 में उनके बेटे की मृत्यु होने के कुछ दिनों बाद उनकी माता की मृत्यु हुई और उसके बाद उनके भाई का भी देहांत हो गया ।इस प्रकार द्रौपदी मुर्मू ने एक महीने में ही पहले अपने बेटे को खोया फिर माँ को खोया और फिर अपने भाई को भी खो दिया ।
जब इन तमाम दुखो को पीछे छोड़कर द्रौपदी मुर्मू आगे बढने की कोशिश कर ही रही थी तब अगले ही साल 2014 में उनके पति का भी देहांत हो गया ।धीरे धीरे उन्होने अपने पूरे परिवार को खो दिया।
पति की मृत्यु के बाद द्रौपदी मुर्मू के लिए सामान्य जीवन मे लौटना काफी मुश्किल रहा लेकिन उन्होंने अध्यात्म के साथ साथ योग करना शुरू किया ,डिप्रेशन के खिलाफ तब तक लड़ाई लड़ी जब तक उन्होंने उसे हरा नही दिया।
द्रौपदी मुर्मू का स्वभाव
द्रौपदी मुर्मू की सबसे बड़ी खूबी यह है कि वे बहुत ही विनम्र स्वभाव की हैं और उन्हें जमीन से जुड़ा हुआ नेता माना जाता है आज भी वे जनमानस के साथ वैसा ही व्यवहार करते हैं जैसा कि पहले करती थी। राष्ट्रपति पद के लिए नामिक होने के बाद जब वे अपने गृह नगर पहुंची तो उन्होंने मंदिर में झाड़ू लगाकर सेवा दान किया है और उन्होंने रायरंगपुर में अपने मकान को भी स्कूल में बदल दिया ताकि बच्चे शिक्षा ग्रहण कर सकें।
FAQ :
Q . देश की दूसरी महिला राष्ट्रपति कौन है ?
ANS . draupadi murmu
Q . देश की पहली आदिवासी राष्ट्रपति कौन है ?
ANS . द्रौपदी मुर्मू
Q . द्रौपदी मुर्मू का जन्म कहाँ हुआ था ?
ANS . उपरबेड़ा ,मयूरभंज, उड़ीसा, भारत
Q . 2022 की वर्तमान राष्ट्रपति कौन है ?
ANS . draupadi murmu