RBI Rate Cut : रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने पाँच साल बाद घटाई ब्याज दर

RBI Rate Cut
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भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने लगभग पाँच वर्षों में पहली बार अपनी प्रमुख रेपो रेट में कटौती की है। अर्थव्यवस्था को गति देने के उद्देश्य से, आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति (MPC) ने सर्वसम्मति से प्रमुख ब्याज दर में 25 आधार अंकों की कटौती करने का निर्णय लिया,

जिससे यह 6.5% से घटकर 6.25% हो गई। यह निर्णय RBI Rate Cut के तहत लिया गया, जिसकी घोषणा आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा ने अपने पहले महत्वपूर्ण संबोधन में की, जिन्होंने दिसंबर 2024 में पदभार संभाला था।

पाँच वर्षों में पहली बार RBI Rate Cut

आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति, जिसमें तीन आंतरिक और तीन बाहरी सदस्य शामिल हैं, ने मई 2020 के बाद पहली बार RBI Rate Cut किया है। पिछले 11 नीतिगत बैठकों में रेपो दर को अपरिवर्तित रखा गया था।

आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा ने कहा कि वैश्विक आर्थिक परिदृश्य अब भी चुनौतीपूर्ण बना हुआ है, और वैश्विक अर्थव्यवस्था ऐतिहासिक औसत से कम गति से बढ़ रही है। हालांकि, भारतीय अर्थव्यवस्था वैश्विक परिस्थितियों से प्रभावित हो सकती है,

लेकिन यह अभी भी मजबूत और लचीली बनी हुई है। उन्होंने यह भी कहा कि अमेरिका में ब्याज दरों में कटौती की गति और आकार को लेकर उम्मीदें कम हो रही हैं, जिससे बॉन्ड यील्ड और डॉलर में वृद्धि देखी गई है।

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आर्थिक विकास दर का पूर्वानुमान

आरबीआई गवर्नर ने बताया कि मार्च 2025 को समाप्त होने वाले वित्तीय वर्ष के लिए वास्तविक जीडीपी वृद्धि दर 6.4% अनुमानित की गई है।

आगामी वित्तीय वर्ष में, वास्तविक वृद्धि दर पहली तिमाही में 6.7%, दूसरी तिमाही में 7%, तीसरी तिमाही में 6.5%, और चौथी तिमाही में 6.5% रहने की उम्मीद है। यह RBI Rate Cut का एक महत्वपूर्ण प्रभाव हो सकता है।

RBI Rate Cut का असर

RBI Rate Cut का मुख्य उद्देश्य आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा देना है। यह निर्णय बैंकों के लिए उधारी को सस्ता बनाएगा, जिससे ऋण की ब्याज दरों में कमी आएगी। इससे आवास, वाहन और अन्य व्यक्तिगत ऋण सस्ते होंगे, जिससे उपभोक्ता खर्च और निवेश को प्रोत्साहन मिलेगा।

ब्याज दरों में इस कटौती की घोषणा ऐसे समय में की गई है जब वैश्विक बाजारों में अनिश्चितता बनी हुई है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा कनाडा, मैक्सिको और चीन पर टैरिफ लगाने की घोषणा ने वैश्विक व्यापार युद्ध की आशंका बढ़ा दी है, जिससे डॉलर अन्य प्रमुख मुद्राओं के मुकाबले मजबूत हुआ है।

इस प्रभाव के कारण भारतीय रुपया भी गिरकर 87 रुपये प्रति डॉलर के रिकॉर्ड निचले स्तर पर पहुंच गया था, हालांकि शुक्रवार को इसमें 16 पैसे की रिकवरी देखी गई और यह 87.43 रुपये प्रति डॉलर पर आ गया।

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ऋण धारकों के लिए राहत

RBI Rate Cut से सभी बाहरी बेंचमार्क लेंडिंग रेट (EBLR), जो कि रेपो दर से जुड़े होते हैं, में कमी आएगी। इससे व्यक्तिगत और कॉर्पोरेट ऋणों के मासिक किस्त (EMI) में गिरावट आएगी और उधारकर्ताओं को राहत मिलेगी।

विशेषज्ञों के अनुसार, यह कटौती देश में उपभोग और निवेश को बढ़ावा देने में मदद करेगी, जिससे आर्थिक वृद्धि को मजबूती मिलेगी। हालांकि, आगे की नीतिगत घोषणाओं पर नजर रखना जरूरी होगा कि क्या आरबीआई आगामी महीनों में और ब्याज दरों में कटौती करने पर विचार करेगा।


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