भारतीय वैज्ञानिकों ने बनाई ऐसी बैटरी, जो चार्ज होगी 10 मिनट में, चलेगी 24 घंटे

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भारतीय वैज्ञानिकों ने तकनीकी क्षेत्र में एक और बड़ी उपलब्धि हासिल की है। भारतीय मूल के शोधकर्ता अंकुर गुप्ता और उनकी टीम ने एक ऐसी बैटरी विकसित की है, जो महज 10 मिनट में चार्ज होकर 24 घंटे तक चल सकती है। यह बैटरी न केवल इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए बल्कि मोबाइल और लैपटॉप जैसे उपकरणों के लिए भी बेहद उपयोगी साबित होगी।

10 मिनट में होगी कार की फुल चार्जिंग

अंकुर गुप्ता और उनकी टीम द्वारा विकसित की गई यह नई चार्जिंग तकनीक इलेक्ट्रिक कारों को केवल 10 मिनट में फुल चार्ज कर सकती है। इसके अलावा, स्मार्टफोन और लैपटॉप जैसे छोटे इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को महज 1 मिनट में चार्ज किया जा सकता है। यह रिसर्च प्रतिष्ठित ‘जर्नल प्रोसीडिंग्स ऑफ द नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेज’ में प्रकाशित हुई है।

ऊर्जा भंडारण में क्रांति

यह तकनीक ऊर्जा भंडारण के क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव ला सकती है। अंकुर गुप्ता, जो अमेरिका के कोलोराडो बोल्डर यूनिवर्सिटी में केमिकल और बायोलॉजिकल इंजीनियरिंग के प्रोफेसर हैं, ने बताया कि इस खोज से सुपरकैपेसिटर जैसे कुशल ऊर्जा भंडारण उपकरणों का विकास तेज़ी से हो सकेगा। उन्होंने कहा कि सुपरकैपेसिटर, बैटरियों के मुकाबले अधिक तेज़ी से चार्ज होते हैं और उनकी जीवन अवधि भी लंबी होती है।

पावर ग्रिड के लिए भी उपयोगी

अंकुर गुप्ता ने बताया कि यह तकनीक न केवल वाहनों और इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के लिए बल्कि पावर ग्रिड के लिए भी बेहद उपयोगी होगी। पावर ग्रिड में अक्सर ऊर्जा की मांग में उतार-चढ़ाव होता है, ऐसे में यह तकनीक ऊर्जा को तेज़ी से संग्रहित कर सकती है और समय की बचत कर सकती है।

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कैसे काम करेगी यह तकनीक?

शोधकर्ताओं ने बताया कि उनकी तकनीक में बैटरी के अंदर छोटे-छोटे होल्स के नेटवर्क के जरिए आयन का फ्लो बढ़ाया जाता है। इससे बैटरी की चार्जिंग क्षमता कई गुना बढ़ जाती है। इससे पहले भी इलेक्ट्रिक वाहनों की बैटरी तकनीक में सुधार के लिए कई शोध हो चुके हैं, लेकिन इस नई तकनीक से इलेक्ट्रिक वाहनों की चार्जिंग प्रक्रिया में बड़ी क्रांति आएगी।

अंतिम निष्कर्ष

अंकुर गुप्ता और उनकी टीम की यह खोज न केवल इलेक्ट्रिक वाहनों की दुनिया में बल्कि सामान्य उपभोक्ताओं के लिए भी वरदान साबित हो सकती है। यह तकनीक समय की बचत के साथ-साथ पर्यावरण के लिए भी लाभकारी है, क्योंकि यह ऊर्जा को अधिक प्रभावी ढंग से संग्रहित और उपयोग करने में मदद करेगी। भारत के वैज्ञानिकों की इस उपलब्धि ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि भारतीय प्रतिभा वैश्विक स्तर पर तकनीकी नवाचार में अग्रणी है।


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