postmortem |
postmortem kya hota hai
postmortem kya hota hai : क्या आपके मन में भी सवाल है कि पोस्टमार्टम क्या होता है पोस्टमार्टम क्यों किया जाता है और यह रात में क्यों नहीं किया जाता है और क्या सच में लाशें चीखती हैं तो दोस्तों आज हम इन्हीं सब बातों के बारे में जानेंगे
पोस्टमार्टम को शव विच्छेदन क्रिया कहते हैं पोस्टमार्टम उसी व्यक्ति का होता है जिसके मामले में पुलिस केस होता है जैसे रोड एक्सीडेंट के मामले ,किसी को जलाने की कोशिश, आत्महत्या, हत्या,लावारिस लाश इन सभी मामलों में पोस्टमार्टम किया जाता है इसके अलावा विवाद के मामले में भी पोस्टमार्टम होता है। जिसमें परिवार की इच्छा जाहिर की जाती है पोस्टमार्टम की अनुमति सिर्फ राजकीय डॉक्टर यानी सरकारी अस्पतालों में काम करने वाले डॉक्टरों को हि होती है मेडिकल कॉलेज के डॉक्टर पोस्टमार्टम नहीं करते हैं। उन्हें विशेष विवादित मामलों में ही कमेटी बनाकर पोस्टमार्टम की टीम में शामिल किया जाता है।
पोस्टमार्टम कौन करता है
पोस्टमार्टम करने वाली टीम में फार्मेसिस्ट डॉक्टर और वाडब्वाय होता है डॉक्टर सिर्फ नोटिंग करते हैं और परिस्थिति देखते हैं और वो ज्यादातर मामलों में चीर फार नहीं करते हैं पोस्टमार्टम के दौरान शरीर के कुछ अंग जैसे सिर ,पेट और फेफड़े को देखा जाता है और उन्हीं में से कुछ चीजें सुरक्षित रखी जाती हैं जहर के मामले में बिषया सुरक्षित रखा जाता है और हत्या के मामले में बॉडी को पूरी तरह से चेक किया जाता है। जिसमें निशान देखे जाते हैं। मोत का कारण पता किया जाता है डॉक्टर बनने के 5 साल बाद ही आप पोस्टमार्टम के लिए वैध होते हैं और 50 या 55 साल के बाद सरकार डॉक्टरों से पोस्टमार्टम नहीं कराती है।
रात में पोस्टमार्टम रात में क्यों नहीं किया जाता है।
ऐसा नहीं है कि रात में पोस्टमार्टम नहीं होता है ।होता है लेकिन विशेष मामलों ने आमदिनों में सूरज ढलने के बाद पोस्टमार्टम की इजाजत नहीं है जिसके पीछे कानूनी कारण है जैसे बिजली की समस्या शरीर में निशान सही तरीके से ना देखना इसके अलावा पोस्टमार्टम के ठीक बाद लाश को अंतिम संस्कार करने के लिए उनके परिवारजनों को सौप देते हैं क्योंकि चीर फाड़ के बाद लाश को रख पाना मुश्किल होता है। कुछ पोस्टमार्टम हाउस में तो फृज भी नहीं होता है रात में पोस्टमार्टम के लिए सिर्फ जिला अधिकारी ही अनुमति दे सकता है जिला अधिकारी एक पत्र पर हस्ताक्षर करके चिकित्सा अधिकारी के पास भेजता है। ऐसा पोस्टमार्टम किसी की सिफारिश से भी हो जाता है। इसलिए यह कहना ठीक नहीं है कि रात में पोस्टमार्टम नहीं किया जाता है।
क्या लासें रात में चींखती हैं।
लासे रात में चीखती नहीं है लेकिन आपको पोस्टमार्टम हाउस में तैनात चौकीदार जरूर डरावना लग सकता है ।क्योंकि अधिकतर चौकीदार बिना नशा किए ड्यूटी नहीं कर पाते हैं ।और उनको वहां किसी भी काम के लिए बख्शीश देनी पड़ती है इसमें पुलिस भी उन्हें नहीं रोक सकती है।