Sarla Thukral को गूगल ने डूडल बनाकर 107 वें जन्मदिन 8 अगस्त 2021 को एक खास तरह से श्रद्धांजली दी है। जिसमे गूगल पर हवाई जहाज उड़ाती हुई महिला का डूडल यानी इमेज लगाया है।
सरला ठकराल को हवाई जहाज उड़ाने वाली भारत की पहली प्रथम महिला पायलट के लिए जाना जाता है जिन्होंने साड़ी पहनकर विमान उड़ाया था।
सरला ठकराल भारतीय प्रथम महिला पॉयलट
जिस दौर में लड़कियों को घर से निकलना ही बड़ी बात थी उसी दौर में सरला ठकराल ने भारत की पहली महिला पॉयलट बनकर सबको हैरत में डाल दिया। भारत की पहली महिला पॉयलट का किताब पाने वाली सरला ठकराल ने ये सफलता सिर्फ 21 साल में ही हासिल कर लिया था।
ये बात है १९३६ की जब सरला ठकराल ने अपनी साड़ी का पल्लू संभालते हुए लाहौर हवाई अड्डे पर दो सीटों वाले छोटे डबल विंग विमान को उड़ाया था इसके बाद चार साल की बेटी की माँ होने के साथ साथ सरला बन गई भारत की पहली महिला पायलट सरला ठकराल ने 1000 घंटे तक विमान उड़ाकर पहली महिला विमान उड़ाने का लाइसेंस भी प्राप्त कर लिया था।
सरला ठकराल की सफलता की कहानी
सरला ठकराल का जन्म 8 अगस्त 1914 में भारत के नई दिल्ली में हुआ था इनको बचपन से ही घर के कामो कजो में कोई दिलचस्पी नहीं थी बल्कि सब बंदिशों से हटकर कुछ अलग कर दिखाना था लेकिन इनके घर वाले इनके जूनून को समझ नहीं पाये और सोलह साल की उम्र में सरला की शादी कर दिया सरला ठकराल के पति का नाम पी डी शर्मा था जो एक पायलट थे और उनके परिवार में कुल नौ पॉयलट थे।
जिस जूनून को सरला के माता पिता नहीं देख पाए थे उस जूनून को सरला ठकराल के पति ने उनके अंदर देख लिया जिसके बाद उनके पती ने उनका हौसला बढ़ाया और पायलट बनने के लिए प्रोत्साहित किया पहले तो सरला ने समाज के डर की वजह से मना कर दिया लेकिन पति के बार बार कहने पर आखिरकार सरला मान गई जिसके बाद उनके ससुर ने सरला का एडमीसन फ्लाइंग स्कूल में करवा दिया। जिस फ्लाइंग स्कूल में आजतक कोई महिला प्लेन सीखने नहीं गई हो वहां एक महिला साड़ी पहनकर प्लेन सीखने गई थी। सरला अपने काम को लेकर काफी सीरियस होती थी और पूछे गए हर सवाल का जवाब बेजिझक देती थी।
इसी हौसले और लगन की वजह से उनके ट्रेनर ने उनपर विश्वास जताया और सरला ठकराल को अकेले में प्लेन उड़ाने को कह दिया सरला ने पहली बार में ही ऐसा प्लेन उड़ाया की सब देखते ही रह गए और सरला ने अपना फ़्लाइंग टेस्ट पास कर लिया।
लेकिन सरला ने अपने सपने को यही तक नहीं छोड़ा बल्कि इसे आगे तक लेकर गई।
फ़्लाइंग टेस्ट पास करने के बाद सरला ने ठान लिया था की वो पायलट बन कर रहेगी
टेस्ट पास कर लेने के बाद सरला लइसेंस प्राप्त करना चाहती थी आखिकार सरला ने जो ठाना वो कर के दिखाया और इन्होने 21 साल की उम्र में ही ए ग्रेड लाइसेंस प्राप्त कर लिया उन्हें यह लाइसेंस उडान में 1000 घंटे पूरे करने के बाद मिला था। इसी के साथ सरला भारत में प्लेन उड़ाने वाली हो गई।
ए ग्रेड लइसेंस पाने के बाद सरला कमर्सियल पायलट का लइसेंस भी पाना चाहती थी लेकिन इसके लिए उन्हें जोधपुर जाना था इससे पहले ही उनके पती की हवाई जहाज की दुर्घटना में मृत्यु हो गई इस हादसे का उनके ऊपर काफी असर पड़ा।
लेकिन उनके पति की इच्छा थी कि ओ एक पायलट बने और सरला ने अपने पति की इच्छा को पूरा करने के लिए जोधपुर चली गई और अपना कमर्शियल लाइसेंस प्राप्त कर लिया।
सरला ठकराल एयरलाइंस में अपना कैरियर बनाना चाहती थी लेकिन इससे पहले ही दूसरा विश्व युद्ध शुरू हो गया जिसके बाद सरला को कभी प्लेन उड़ाने का मौका ही नहीं मिला और 15 मार्च 2008 को उनका निधन हो गया।